Source: Google Images मेरे सपने मेरे आंसूओ ने भर दिया एक समन्दर , समन्दर बना खारे पाने से भरकर जों निकला मेरे इन् दो आँखों के मन से . दुखो का पहाड़ था इस दिल पे टुटा; मेरा मन था अंधियारी दुनिया मैं डूबा. सोचा न था कभी कुछ ऐसा भी होता , मेरे दिल का टुकड़ा कुछ इस तरह से खोता। मन के अरमानो पे चुरिया सी चल गयी; स्वप्न नगरी मैं जैसे स्तब्धता सी चा गयी। कल तक तो हाथो मैं थे मेरे सपने, 'अटल बनके पुरे करुँगी यह सपने ' -मन का यह विचार लेके आगे मैं बढती; पर उससे पहले थी यह किस्मत भी पलती। मेरे सपनो पे एक डाका सा दल गया; जादूगर की छड़ी से मेरा सपना रेत मैं बदल गया। This post was published in Kaleidoscope Magazine's July 2012 issue